Monday, January 11, 2010

डैलस में मुकेश की याद में एक शाम


अप्रवासी भारतीय
डैलस, अमरीका से रचना श्रीवास्तव | बुधवार , 30 दिसम्बर 2009


अमेरिका के डैलस शहर में स्वर्गीय गायक मुकेश की याद में एक शानदार शाम आयोजित की गई। इसका आयोजन किया था, परिमाज जी और सुंदर मुकेश जी ने। मुकेश के यादगार गीतों को गाने के लिए जानी मानी पार्श्व गायिका शारदाजी भारत से डैलस आई थी।

इतने दिनों बाद लाइव शारदा जी को सुनना बहुत ही सुखद रहा। इनकी आवाज में आज भी वही जादू और कशिश मौजूद है जो बरसों पहले थी। उनके एक एक गीत ने लोगों का मन मोह लिया।

कार्यक्रम का प्रारंभ सुन्दर मुकेश जी ने किया। शारदाजी ने मुकेश जी के साथ गाए अपने सभी गाने प्रस्तुत कर जमकर वाववाही बटोरी। उनका साथ दिया सुन्दर मुकेश जी ने।

बाद में लोगों की फरमाइश पर शारदाजी ने रफ़ी जी के साथ गाये अपने गाने भी प्रस्तुत किए। शारदा जी ने अपनी मखमली आवाज में ऐसा सुंदर समाँ बाँधा की लोग कार्यक्रम के अंत तक बैठे रहे।

तितली उड़ी हो या चले जाना या जाने चमन या जब भी ये दिल उदास हर गाने पर लोग तालियाँ बजाते रहे। इस मौके पर शारदा जी ने कहा की इतने दिनों बाद अपने चाहने वालों के बीच आना मेरे लिए एक यादगार अनुभव है।

मंच का संचालन फन एशिया रेडियो की आरजे करिश्माजी ने किया। इस अवसर पर कुछ स्थानीय कलाकारों संगीता धारया,कृतिका,स्वाती ,राजीव संजय ने भी अपनी प्रस्तुत से श्रोताओं की जमकर दाद बटोरी।

इस कार्यक्रम का संगीत भी यादगार था। की बोर्ड पर थे न्यू यॉर्क के अरुण पटेल। अरुण देख नहीं पाते, लेकिन जब इनकी इनकी अंगुलियाँ की बोर्ड पर चलती थी तो चमत्कारिक संगीत पैदा करती थीं। तबले पर थे पूरण लाल व्यास जो शिकागो से आए थे। ये दोनों कलाकारों ने लक्ष्मीकान्त-प्यारे लाल और शंकर-जयकिशन के साथ भी संगत कर चुके हैं।

COURTESY :
http://www.hindimedia.in/index.php?option=com_content&task=view&id=9486&Itemid=141

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